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धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, पाँच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और इसे हिंदू कैलेंडर में सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। 2025 में, धनतेरस कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि, शनिवार, 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
धनतेरस पर 13 दीये जलाने की परंपरा
धनतेरस पर 13 दीये जलाना एक सदियों पुरानी रस्म है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह दैवीय ऊर्जा को आकर्षित करता है, नकारात्मकता को दूर करता है और धन व सुरक्षा को आमंत्रित करता है। दीये आमतौर पर सरसों के तेल या घी से जलाए जाते हैं, और प्रत्येक दीये का घर में एक विशिष्ट उद्देश्य और स्थान होता है।
पहला दीया-यम दीप:
पहला दीया मुख्य द्वार के बाहर, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखें। इसे यम दीप के नाम से जाना जाता है, जो मृत्यु के देवता भगवान यम को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इसे जलाने से परिवार की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है और दीर्घायु सुनिश्चित होती है।
दूसरा दीया-पूजा कक्ष:
दूसरा दीया पूजा कक्ष में देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की मूर्तियों के सामने रखें। माना जाता है कि घी और केसर से इस दीये को जलाने से सौभाग्य और धन की प्राप्ति होती है।
तीसरा दीया-घर का प्रवेश द्वार:
यह दीया मुख्य द्वार पर रखना चाहिए। यह नकारात्मकता को दूर भगाता है और घर में समृद्धि लाता है।
चौथा दीया-तुलसी के पौधे के पास:
तुलसी के पौधे के पास दीया रखना सद्भाव, खुशी और पारिवारिक शांति का प्रतीक है।
पाँचवाँ दीया-छत या बालकनी पर:
छत या किसी ऊँचे स्थान पर दीया जलाना दैवीय सुरक्षा का प्रतीक है और घर में सकारात्मक ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आमंत्रित करता है।
छठा दीया-पीपल के पेड़ के नीचे:
कहा जाता है कि पीपल के पेड़ के नीचे दीया रखने से बाधाएँ दूर होती हैं, बुरे कर्मों का नाश होता है और स्वास्थ्य एवं धन की प्राप्ति होती है।
सातवाँ दीया- भक्ति का प्रतीक:
इस दीये को शुद्ध मन और हृदय से जलाना चाहिए, जो विश्वास, भक्ति और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
आठवाँ दीया- भण्डार कक्ष के पास:
इस दीये को जलाने से दरिद्रता, अभाव और आर्थिक अस्थिरता दूर होती है। यह समृद्धि के लिए एक प्रतीकात्मक प्रार्थना है।
नौवाँ दीया- शौचालय के बाहर:
यह दीया नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है और घर के वातावरण को शुद्ध रखता है।
दसवाँ दीया- बुराई से सुरक्षा:
ऐसा माना जाता है कि यह दीया घर को बुरी नज़र और अन्य नकारात्मक प्रभावों से बचाता है।
ग्यारहवाँ दीया- छत या खुली जगह पर:
यह घर में खुशियाँ, आनंद और सकारात्मकता लाता है और वातावरण को प्रकाश से भर देता है।
बारहवाँ दीया- बेल के पेड़ के नीचे:
इस दीये को जलाना धन और समृद्धि का प्रतीक है, जो विकास और प्रचुरता को आमंत्रित करता है।
तेरहवाँ दीया - गली के कोने या चौराहे पर:
अंतिम दीया शुभ ऊर्जा फैलाने और दुर्भाग्य को दूर भगाने के लिए चौराहे या चौराहे पर रखा जाता है।
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